पीलिया के घरेलु इलाज और इसके प्रकार
पीलिया के घरेलु इलाज वह नुस्खें
पीलिया में टमाटर का उपयोग ऐसे करें| ३ से 4 मध्यम आकार के टमाटर का रस ले उसमे थोड़ा सा काला नमक, काली मिर्च मिलाएं| इसे सवेरे के समय पीने से फायदा होता है| जिगर अच्छी तरह से काम करने लगता है|
पीलिया के मरीजों को हर रोज़ 1 ग्लास गन्ने का ताज़ा जूस पीना चाहिए|
फलों में पपीते कि पत्तियों का अच्छा उपयोग मानाजाता है पीलिया के लिए| पपीते कि कुछ पत्ते पिस ले| ३ चम्मच तक का रस निकले उसमे 1 चम्मच शाहेद मिला कर रोज़ाना पिए कम से कम 2 सप्ताह तक इसका उपयोग करे|
3 से 4 नई कोपलें, पीपल के पेड़ कि ले और उससे अच्छी तरह से धो ले इससे मिश्री या चीनी के साथ मिलाकर बारीक़ पिस ले इसे 200 ग्राम पानी में घोलकर दिन में 2 बार पीने से 5 दिन में पीलिया ख़तम हो जाता है| पीलिया पीड़ितों के लिए यह एक अच्छा घरेलु इलाज है|
30 से 60 मिलीलीटर तक गोखरू कि जड़ का काढ़ा बना कर रोज़ 2 से 3 बार पीने से लाभ मिलता है|
कासनी के फूलों का काढ़ा बना कर दिन में ३ बार पीने से पीलिया में फायदा पहुँचाता है कासनी छोटी छोटी नीले फूलों वाली बूटी है| इससे बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है| पित्त प्रवाह में सुचारुत और जिगर और पित्ताशय को अच्छे से काम करने में मदद मिलती है|
2 से 4 दिनों तक दिन में 2 बार छाछ के साथ फिटकरी का चूर्ण डाल कर पीने से पीलिया से छुटकारा पाया जा सकता है|
पीलिया के कारणखून में बिलीरुबिन कि मात्रा 2.5 से बढ़ कर ज्यादा हो जाये तो लीवर की गंदगी साफ़ होने की प्रक्रिया बंद हो जाती है तो पलिया होता है|
लक्षणआँखों के सफ़ेद भाग का पिला होना और त्वचा व नाख़ून का पिला होना है|
पीलिया के लक्षण:- कमज़ोरी आना, कब्ज, गहरे पीले रंग का मूत्र, शरीर में जलन, थकान होना, बुखार, पेट में दर्द होना, हलके रंग का मल, उलटी ( मतली ), वज़न का कम होना, भूख ना लगना, सिर का दर्द होना|
पीलिया का देसी इलाज या उपचार
निशोध और कुटकी इन दोनों को बराबर हम वज़न ले और इसका चूर्ण बना कर, गर्म पानी में 1 चम्मच चूर्ण डाले और दिन में दो बार पिए इसे पीने से फायदा होता है|
पीलिया पीड़ितों को किया नहीं खाना चाहिए
पीलिया के पीड़ितों को तले हुवे, मिर्च मसालेदर भोजन नहीं खाना चाहिए| शराब, मांस, धुर्मपान जैसे सेवन से दूर रहना चाहिए| पानी को उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए| मिलावटी और बासी खाद्य – पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए| ऐसा भोजन करे जो आसानी से पचे|
पीलिया के प्रकार
यह ३ प्रकार के होते है|
हेमोलिटिक जॉन्डिस
हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस
ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस
हेमोलिटिक जॉन्डिस
बिलीरुबिन कि मात्रा बढ़ जाने के कारण पीलिया होता है| त्वचा और आँखे पिली दिखाई देने लगती है जिसे प्री- हेपेटिक पीलिया या हेमोलिटिक पीलिया कहते है, और दवाईयों के बुरे असर के कारण भी हो सकता है| बिलीरुबिन कि मात्र बढ़ जाने के कारण लीवर संभाल नहीं पाता है, फ़िल्टर नहीं कर पाता है|
हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस
नवजात बच्चों में इंजाइमो कि परीपक्वता कि कमी होती है यह बिलीरुबिन कि प्रक्रिया के लिए ज़रूरी होता है और उनका लीवर अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है इसके कारण पीलिया हो जाता है और बढ़ो में ये शराब, विषाक्त पदार्थों और दवाइयों के सेवन से कोशिका को नुकसान पहोचता है तो हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस हो जाता है|
ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस
इसमें पित्त नलिका में रुकावट की वजह से बिलीरुबिन बढ़ जाता हैं जिस से मूत्र (urine) में फैलने से उसका रंग पीला हो जाता है जिससे ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस हो जाता है।
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पीलिया के मरीजों को हर रोज़ 1 ग्लास गन्ने का ताज़ा जूस पीना चाहिए|
फलों में पपीते कि पत्तियों का अच्छा उपयोग मानाजाता है पीलिया के लिए| पपीते कि कुछ पत्ते पिस ले| ३ चम्मच तक का रस निकले उसमे 1 चम्मच शाहेद मिला कर रोज़ाना पिए कम से कम 2 सप्ताह तक इसका उपयोग करे|
3 से 4 नई कोपलें, पीपल के पेड़ कि ले और उससे अच्छी तरह से धो ले इससे मिश्री या चीनी के साथ मिलाकर बारीक़ पिस ले इसे 200 ग्राम पानी में घोलकर दिन में 2 बार पीने से 5 दिन में पीलिया ख़तम हो जाता है| पीलिया पीड़ितों के लिए यह एक अच्छा घरेलु इलाज है|
30 से 60 मिलीलीटर तक गोखरू कि जड़ का काढ़ा बना कर रोज़ 2 से 3 बार पीने से लाभ मिलता है|
कासनी के फूलों का काढ़ा बना कर दिन में ३ बार पीने से पीलिया में फायदा पहुँचाता है कासनी छोटी छोटी नीले फूलों वाली बूटी है| इससे बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है| पित्त प्रवाह में सुचारुत और जिगर और पित्ताशय को अच्छे से काम करने में मदद मिलती है|
2 से 4 दिनों तक दिन में 2 बार छाछ के साथ फिटकरी का चूर्ण डाल कर पीने से पीलिया से छुटकारा पाया जा सकता है|
पीलिया के कारणखून में बिलीरुबिन कि मात्रा 2.5 से बढ़ कर ज्यादा हो जाये तो लीवर की गंदगी साफ़ होने की प्रक्रिया बंद हो जाती है तो पलिया होता है|
लक्षणआँखों के सफ़ेद भाग का पिला होना और त्वचा व नाख़ून का पिला होना है|
पीलिया के लक्षण:- कमज़ोरी आना, कब्ज, गहरे पीले रंग का मूत्र, शरीर में जलन, थकान होना, बुखार, पेट में दर्द होना, हलके रंग का मल, उलटी ( मतली ), वज़न का कम होना, भूख ना लगना, सिर का दर्द होना|
पीलिया का देसी इलाज या उपचार
निशोध और कुटकी इन दोनों को बराबर हम वज़न ले और इसका चूर्ण बना कर, गर्म पानी में 1 चम्मच चूर्ण डाले और दिन में दो बार पिए इसे पीने से फायदा होता है|
पीलिया पीड़ितों को किया नहीं खाना चाहिए
पीलिया के पीड़ितों को तले हुवे, मिर्च मसालेदर भोजन नहीं खाना चाहिए| शराब, मांस, धुर्मपान जैसे सेवन से दूर रहना चाहिए| पानी को उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए| मिलावटी और बासी खाद्य – पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए| ऐसा भोजन करे जो आसानी से पचे|
पीलिया के प्रकार
यह ३ प्रकार के होते है|
हेमोलिटिक जॉन्डिस
हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस
ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस
हेमोलिटिक जॉन्डिस
बिलीरुबिन कि मात्रा बढ़ जाने के कारण पीलिया होता है| त्वचा और आँखे पिली दिखाई देने लगती है जिसे प्री- हेपेटिक पीलिया या हेमोलिटिक पीलिया कहते है, और दवाईयों के बुरे असर के कारण भी हो सकता है| बिलीरुबिन कि मात्र बढ़ जाने के कारण लीवर संभाल नहीं पाता है, फ़िल्टर नहीं कर पाता है|
हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस
नवजात बच्चों में इंजाइमो कि परीपक्वता कि कमी होती है यह बिलीरुबिन कि प्रक्रिया के लिए ज़रूरी होता है और उनका लीवर अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है इसके कारण पीलिया हो जाता है और बढ़ो में ये शराब, विषाक्त पदार्थों और दवाइयों के सेवन से कोशिका को नुकसान पहोचता है तो हेपोटोसेलुलर जॉन्डिस हो जाता है|
ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस
इसमें पित्त नलिका में रुकावट की वजह से बिलीरुबिन बढ़ जाता हैं जिस से मूत्र (urine) में फैलने से उसका रंग पीला हो जाता है जिससे ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस हो जाता है।
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यदि आप खुश वह स्वस्थ रहना चाहते हो तो अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखिये| और नशीली पदार्थो का सेवन करेने से बचें|
Written By
Tabassum Shah
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